Saturday, October 01, 2016

मां शैलपुत्री


         


शैलपुत्री

देवी दुर्गा के नौ रूप होते हैं। दुर्गाजी पहले स्वरूप में 'शैलपुत्री' के नाम से जानी जाती हैं।[१] ये ही नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा हैं। पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम 'शैलपुत्री' पड़ा। नवरात्र-पूजन में प्रथम दिवस इन्हीं की पूजा और उपासना की जाती है।

शैलपुत्री : मां दुर्गा का पहला रूप देवी शैलपुत्री का पूजन

नवरात्रि में दुर्गा पूजा के अवसर पर बहुत ही विधि-विधान से माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-उपासना की जाती है। आइए जानते हैं प्रथम देवी शैलपुत्री के बारे में :-

मां दुर्गा को सर्वप्रथम शैलपुत्री के रूप में पूजा जाता है। हिमालय के वहां पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण उनका नामकरण हुआ शैलपुत्री। इनका वाहन वृषभ है, इसलिए यह देवी वृषारूढ़ा के नाम से भी जानी जाती हैं। इस देवी ने दाएं हाथ में त्रिशूल धारण कर रखा है और बाएं हाथ में कमल सुशोभित है। यही देवी प्रथम दुर्गा हैं। यही सती के नाम से भी जानी जाती हैं। उनकी एक मार्मिक कहानी है।

एक बार जब प्रजापति ने यज्ञ किया तो इसमें सारे देवताओं को निमंत्रित किया, भगवान शंकर को नहीं। सती यज्ञ में जाने के लिए विकल हो उठीं। शंकरजी ने कहा कि सारे देवताओं को निमंत्रित किया गया है, उन्हें नहीं। ऐसे में वहां जाना उचित नहीं है।

सती का प्रबल आग्रह देखकर शंकरजी ने उन्हें यज्ञ में जाने की अनुमति दे दी। सती जब घर पहुंचीं तो सिर्फ मां ने ही उन्हें स्नेह दिया। बहनों की बातों में व्यंग्य और उपहास के भाव थे। भगवान शंकर के प्रति भी तिरस्कार का भाव है। दक्ष ने भी उनके प्रति अपमानजनक वचन कहे। इससे सती को क्लेश पहुंचा। वे अपने पति का यह अपमान न सह सकीं और योगाग्नि द्वारा अपने को जलाकर भस्म कर लिया।

इस दारुण दुख से व्यथित होकर शंकर भगवान ने उस यज्ञ का विध्वंस करा दिया। यही सती अगले जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्मीं और शैलपुत्री कहलाईं। शैलपुत्री का विवाह भी भगवान शंकर से हुआ। शैलपुत्री शिवजी की अर्द्धांगिनी बनीं। इनका महत्व और शक्ति अनंत है। पार्वती और हेमवती भी इसी देवी के अन्य नाम हैं।

वन्दे वांच्छितलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्‌। वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्‌ ॥

Thursday, March 24, 2016

Rituals of Holi


Rituals of the ancient festival of Holi are religiously followed every year with care and enthusiasm.

Preparations
Days before the festival people start gathering wood for the lighting of the bonfire called Holika at the major crossroads of the city. This ensures that at the time of the actual celebration a huge pile of wood is collected.


Holika Dahan Celebrations
Then on the eve of Holi, Holika Dahan takes place. Effigy of Holika, the devil minded sister of demon King Hiranyakashyap is placed in the wood and burnt. For, Holika tried to kill Hiranyakashyap's son Prahlad, an ardent devotee of Lord Naarayana. The ritual symbolises the victory of good over evil and also the triumph of a true devotee.

Children also hurl abuses at Holika and pray pranks, as if they still try to chase away Dhundhi who once troubled little ones in the Kingdom of Prithu. Some people also take embers from the fire to their homes to rekindle their own domestic fires.

Play of Colors
Next day, is of course the main day of Holi celebrations. The day is called Dhuleti
and it is on this day that the actual play of colours take place. There is no tradition of holding puja and is meant for pure enjoyment.
The tradition of playing colours is particularly rampant in north India and even in that region, there can be no comparison to the Holi of Mathura and Vrindavan. In Maharashtra and Gujarat too Holi is celebrated with lot of enthusiasm and fun.

People take extreme delight in spraying colour water on each other with pichkaris or pouring buckets and buckets of it. Singing Bollywood Holi numbers and dancing on the beat of dholak is also a part of the tradition. Amidst all this activity people relish gujiya, mathri, malpuas and other traditional Holi delicacies with great joy.

Drinks, specially thandai laced with bhang is also an intrinsic part of the Holi festivity. Bhang helps to further enhance the spirit of the occasion but if taken in excess it might dampen it also. So caution should be taken while consuming it.


Holi Celebrations in South India
In south India, however, people follow the tradition of worshiping Kaamadeva, the love god of Indian mythology. People have faith in the legend which speak about the great sacrifice of Kaamadeva when he shot his love arrow on Lord Shiva to break his meditation and evoke his interest in worldly affairs.

After, an eventful and funfilled day people become a little sober in the evening and greet friends and relatives by visiting them and exchange sweets. Holi special get togethers are also organised by various cultural organisations to generate harmony and brotherhood in the society.

Friday, February 12, 2016

Saraswati Mantra

*********Saraswati Mantra***********



Sanskrit / संस्कृत:

या कुंदेंदु तुषारहार धवला, या शुभ्र वस्त्रावृता |

या वीणावर दण्डमंडितकरा, या श्वेतपद्मासना ||

या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभ्रृतिभिर्देवै: सदा वन्दिता |

सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेष जाड्यापहा ||

शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमां आद्यां जगद्व्यापिनीं

वीणा पुस्तक धारिणीं अभयदां जाड्यान्धकारापाहां|

हस्ते स्फाटिक मालीकां विदधतीं पद्मासने संस्थितां

वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धि प्रदां शारदां|| सरस्वत्यै नमो नित्यं भद्रकाल्यै नमो नमः। वेद वेदान्त वेदांग विद्यास्थानेभ्यः एव च।। सरस्वती महाभागे विद्ये कमाल लोचने। विद्यारूपी विशालाक्षी विद्याम देहि नमोस्तुते।।

English...
Yaa Kundendu tushaara haara-dhavalaa, Yaa shubhra-vastra'avritaa

Yaa veena-vara-danda-manditakara, Yaa shweta padma'asana

Yaa brahma'achyuta shankara prabhritibhir, Devai-sadaa vandita

Saa Maam Paatu Saraswati Bhagavatee Nihshesha jaadya'apahaa.

Shuklaam Brahmavichaara Saara paramaam Aadhyaam Jagadvyapinim,

Veena Pustaka Dhaarineem Abhayadaam Jaadya'andhakaara'apahaam

Haste Sphaatika Maalikam Vidadhateem Padmasane Sansthitaam

Vande taam Parmeshwareem Bhagavateem Buddhipradaam Shardam.----

Hindi / हिंदी अनुवाद:

जो कुंद फूल, चंद्रमा और वर्फ के हार के समान श्वेत हैं, जो शुभ्र वस्त्र धारण करती हैं|

जिनके हाथ, श्रेष्ठ वीणा से सुशोभित हैं, जो श्वेत कमल पर आसन ग्रहण करती हैं||

ब्रह्मा, विष्णु और महेश आदिदेव, जिनकी सदैव स्तुति करते हैं|

हे माँ भगवती सरस्वती, आप मेरी सारी (मानसिक) जड़ता को हरें||



English Translation

She, who is as fair as the Kunda flower, white as the moon, and a garland of white snow;and who is covered in white clothes

She, whose hands are adorned by the excellent veena, and whose seat is the pure white lotus;

She, who is praised by Brahma, Vishnu, and Mahesh; and prayed to by the Devas

O Mother Goddess, remove my mental dullness!