Saturday, January 11, 2014

Bhagwad Geeta

जो पुरुष प्रिय को प्राप्त होकर हर्षित नहीं हो और अप्रिय को प्राप्त होकर उद्भिग्न न हो, वह स्थिर बुद्भि संशय रहित ब्रह्म वेत्ता पुरुष सच्चिदानन्दधन परब्रह्म परमात्मा में एकीभाव से नित्य स्थिति है ।। २० ।।


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